बाल यौन अपराधों से संरक्षण: POCSO अधिनियम, 2012 और किशोर न्याय अधिनियम, 2015 का एक महत्वपूर्ण विश्लेषण
Abstract
बच्चे समाज के सबसे संवेदनशील और कमजोर वर्गों में से एक हैं। उनके खिलाफ यौन अपराधों की बढ़ती घटनाएं मजबूत कानूनी सुरक्षा की आवश्यकता को दर्शाती हैं। भारत में, बाल यौन अपराधों से संरक्षण अधिनियम, 2012 (POCSO) और किशोर न्याय (बालकों की देखभाल और संरक्षण) अधिनियम, 2015 बच्चों को यौन अपराधों से बचाने और उनके कल्याण को सुनिश्चित करने के लिए प्रमुख कानून हैं। यह शोध इन कानूनों की प्रभावशीलता का मूल्यांकन करता है, जिसमें अपराधों की रोकथाम, न्याय प्रदान करना, और पीड़ित बच्चों की देखभाल शामिल है। यह शोध कार्यान्वयन में चुनौतियों, जैसे संस्थागत कमियां, कानून लागू करने की बाधाएं, और न्यायिक व्याख्याओं की जांच करता है। यह बच्चों की मनोवैज्ञानिक स्थिति और प्रक्रियात्मक संवेदनशीलता के साथ कानूनी प्रावधानों के अंतर्संबंध को भी उजागर करता है। प्रासंगिक न्यायिक मामलों, नीतिगत ढांचों, और वास्तविक परिस्थितियों के विश्लेषण के माध्यम से, यह पेपर इन कानूनों की सफलता का आकलन करता है और बच्चों के लिए सुरक्षात्मक तंत्र को मजबूत करने के लिए रचनात्मक सुझाव देता है। यह सामाजिक कलंक, विलंबित न्याय, बाल-अनुकूल प्रक्रियाओं की कमी, और हितधारकों के लिए विशेष प्रशिक्षण की आवश्यकता जैसे मुद्दों पर भी चर्चा करता है।
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Copyright (c) 2024 ज्योत्सना सिंह एव डॉ. प्रशान्त मिश्रा (Author)

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