छतरियों की वास्तुकला सम्बन्धी विभिन्न पक्षों का अध्ययन:ओरछा क्षेत्र के परिपेक्ष्य में।

Authors

  • डा0 शेफाली Author

Keywords:

वास्तुकला, छतरी, स्मारक, लहसुनाकार गुम्बद, प्याजीनुमा गुम्बद, पंचायतन शैली, आधारतल, शिखर, हीरानुमाकृति, ज्यामितीय डिजाइन, तोरणद्वार।

Abstract

बुन्देलखण्ड में मध्य सोलहवीं शताब्दी में छतरियों का निर्माण प्रारम्भ हुआ। यह काल बुन्देलखण्ड में बुन्देला राजाओं के चर्मोत्कर्ष का काल था। बुन्देलखण्ड में अधिकतर छतरियों का निर्माण बुन्देला राजाओं द्वारा ही करवाया गया। अन्य भारतीय राजवंशों की भाँति ही बुन्देला राजवंश में भी राजाओं या राजकुमारों के मरणोपरान्त उनकी याद में स्थापत्य की दृष्टि से विशिष्ट एवं अद्वितीय स्मारकों का निर्माण करवाया गया। यही स्मारक छतरी के नाम से जाने जाते है। चूंकि बुन्देला राजाओं की अपनी-अपनी स्वतन्त्र जागीरें थी और ये सम्पूर्ण बुन्देलखण्ड में विस्तृत थे। इसीलिये छतरियाँ भी बुन्देलखण्ड के भिन्न-भिन्न क्षेत्रों में निर्मित की गयी है। वर्तमान में बुन्देलखण्ड का क्षेत्र मध्य-प्रदेश और उत्तर-प्रदेश का मिलाजुला भू-भाग है। चूंकि ओरछा बुन्देला राजाओं की प्रमुख राजधानी थी इसलिये बुन्देला राजाओं द्वारा विस्तृत तथा भव्य रूप से छतरियों का निर्माण ओरछा में किया गया है।

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Author Biography

  • डा0 शेफाली

    प्रवक्ता, चन्दन सिंह कन्या महाविद्यालय, बरल,  झासी, उ0 प्र0

    ई-मेल  spniranjan19961@gmail.com; +91-8126422699

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Published

07/01/2024

How to Cite

छतरियों की वास्तुकला सम्बन्धी विभिन्न पक्षों का अध्ययन:ओरछा क्षेत्र के परिपेक्ष्य में।. (2024). Journal of Review in International Academic Research, 1(2), 13-20. https://jriar.com/index.php/jriar/article/view/3